फिर मुलाकात होगी - भाग १ Lalit Raj द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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फिर मुलाकात होगी - भाग १

मेरा नाम राज है और तुम्हारा,मेरा नाम काजल है, तुम्हारा नाम बहुत अच्छा है, और आपका भी, काजल तुम मुझसे दोस्ती करोगी, राज ये भी कोई पूछने की बात है हम दो साल से एक साथ पढ रहें है हम एक दूसरे को जानते है तो हम हुऐ न दोस्त, ठीक कहा तुमने लेकिन आज हमने एक दूसरे से बात की है और एक दूसरे का नाम जाना है तो आज से हमारी तुम्हारी दोस्ती शुरू, ठीक है पक्का आज से हम तुम दोस्त हैं।

राज काजल बहुत अच्छे दोस्त बन चुके थे लेकिन राज इस दोस्ती के साथ साथ काजल से प्रेम करने लगा था.

राज इस बात से अंजान था क्या काजल में भी वही एहसास हैं जो वो उसके लिऐ महसूस करता है।

राज और काजल ने अपनी कॉलेज की पढाई पूरी कर ली और कॉलेज का आखरी दिन था।

राज ने सोचा कॉलेज का आखरी दिन है तो मुझे अपने प्यार का इजहार करना होगा वरना काजल से फिर मुलाकात हो न हो।

राज काजल से अपने प्यार का इजहार करने उसके पास गया लेकिन राज का दिल जोर जोर से धड़कने लगा।

अब राज काजल के ठीक सामने था और जब काजल राज को देखती है तो राज की नजर नीचे की तरफ होती है।

काजल " क्या हुआ राज कुछ कहना चाहते हो मुझसे तो कहो ऐसे नजरे क्यों झुकाऐ हो।"

राज घबराते हुऐ और सहम कर बोला " हा मै तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।"

काजल " तो कहो क्या कहना है।"

राज " कॉलेज का ये आखिरी दिन है अब हम फिर कभी मिल पाऐंगे या नहीं लेकिन एक दुसरे को बहुत याद करेंगे क्योंकि हमारी दोस्ती कुछ ऐसी ही है।"

काजल " ठीक कहा तुमने लेकिन एक काम हो सकता है हम एक ही कम्पनी में जॉब करके फिरसे मिल सकते हैं "

राज " वो ठीक है पर होगा कैसे "

काजल " होगा अगर तुम्हें कोई जॉब मिलती है तो तुम मेरे लिऐ वहां जॉब देखना लेकिन अगर मुझे मिलती है तो मै तुम्हारे लिऐ जॉब देखूंगी।"

राज " ये ठीक रहेगा और इस तरह से एक दूसरे से मिल भी सकेंगे "

काजल " बस यही कहना था या और भी कुछ कहना था"

राज ने अपनी प्यार की बात को दवा लिया और सोचा " फिर मुलाकात होगी " जब काजल से तो मै तब उसको बता दुंगा।

राज काजल से बेइंतहा महोब्बत करता था जब वो दोस्त था तब वो उसकी खुद से जादा फिक्र किया करता था और अब तो वो उस्से प्यार करता है।

राज को काजल के खयाल ने कभी एक दूसरे के रिस्ते को भूलने नहीं दिया।

आज राज को काजल से मिले बिना तीन साल होगया और फिर भी उस्से मिलने की कोई न कोई आश रहती है कि सायद फिर मुलाकात हो कभी।

राज की माँ " बेटा राज तूने आजतक मुझसे कुछ नहीं छुपाया लेकिन तीन साल से देख रही हूँ मेरा हर तरह से खयाल रखा लेकिन तेरे चेहरे से कभी मायूसी नही हटी,
कौन है बेटा वो माँ के अलावा तुम्हें जिसकी इतनी फिक्र है।"

राज " माँ ऐसा कुछ नहीं बस थोड़ा थक जातू इसलिए सायद आपको परेशान दिखता हूँ "

माँ " काम से टूटने वाली थकान शरीर पर दिखाई देती है लेकिन बेटा जो दिल से टूटा हुआ हो उसका तो चेहरा देखकर हरकोई बता सकता है और फिर मै तो तेरी माँ हूँ "

राज रोता हुआ माँ के सीने से लग जाता है और कहता है
"माँँ में क्या करू उसे में भुला भी नहीं पा रहा मै उस्से बहुत प्यार करता था और उस्से शादी भी करना चाहता था लेकिन...." इतना कह पाता है तभी

राज माँ को देखता है कि उनके सीने से धड़कन की आवाज रूक गई और थोड़ी ही देर में माँ दर्द से चिल्लाने लगी।

"आ आ आ, बेटा राज " और इतना कहकर माँ नीचे गिर ही रही थी और राज ने उन्हें थाम लिया

राज " माँ तुम्हें कुछ नहीं होगा माँ " राज माँ को गोद में लिऐ बहार हॉस्पिटल की तरफ भागा वो सड़क पर हैल्प के लिऐ चिल्लाता रहा और थोड़ी देर बाद एक कार वाले ने उसकी मदत की।

वो अपनी माँ को उस कार से हॉस्पिटल ले गया और हॉस्पिटल पहूंचते ही उसकी माँ का इलाज शुरू हुआ।

और थोड़ी देर बाद वहां डॉक्टर आता है ।

राज " डॉक्टर मेरी माँ कैसी है उन्हें कुछ हुआ तो नहीं वो ठीक है न"

डॉक्टर " ओ तुम उनके बेटे हो अरे यार कैसे बेटे हो उनको पहला अटैक आया है जादा उन्हें कभी इमोशनल मत होने देना समझे अभी ठीक हैं और इसके बाद तुम्हें उनका अच्छे से खयाल रखना, और हा सही वक्त पर अपनी माँ को ले आऐ ये बहुत अच्छा हुआ वरना हालत बिगड़ सकते थे।"

राज " क्या मै माँ से मिल सकता हूँ ।"
डॉक्टर " क्यों नहीं बिल्कुल मिलिए अपनी माँ से वो अब खतरे से बहार हैं। "

राज माँ के पास जाते जाते सोचता है " जो हमारे पास है ही नहीं उसे पाने के गम में डूबे रहते हैं और जो हमारे पास हैं जो हमारी कदर करते हैं उनको ही अनदेखा करते हैं ये हमारे जीवन की सबसे बड़ी भूल है।"
" जो दूर हैं उनको किसमत के भरोसे छोड़दो और जो आपके अपने प्यार करने वाले ,आपके करीब हो बस उनका इतना अच्छे से खयाल रखो कि किसमत भी उन्हें तुमसे कभी अलग न कर सके "

राज " माँ आप जल्दी ही ठीक हो जाओगी अभी हॉस्पिटल से छुट्टी लेते हैं ठीक अब से मै आपका खयाल रखुंगा आपने मेरा बहुत खयाल रखा है।"

माँ " ठीक है बेटा मै तो तेरे मुस्कराते चेहरे को देखकर ही ठीक हो जाती हूँ और हा तो मुझसे उस समय क्या कह रहा था, बेटा माफ करना मुझे तखलीफ हुई और इसलिए मै समझ न सकी के तू क्या बोल रहा था।"

राज " कुछ नहीं माँ मै बस इतना कह रहा था कि अबसे मै आपका खयाल रखुंगा क्योंकि आप मेरी फिक्र कुछ जादा करती हो इसलिए ये तखलीफ हुई ।"

राज अपनी माँ को हॉस्पिटल से घर ले जा रहा होता है तभी एक लड़की उस्से पूछती है " अब आपकी माँ बिल्कुल ठीक हैं। "

राज उसकी ओर देख रहा क्योंकि वो उसे जानता नहीं था और वो राज के इस तरहा देखने से कहती है " अरे आपने पहचाना नहीं ओ सौरी माँ की तखलीफ में आपको ये याद नहीं रहा कि आपने मुझसे हैल्प ली थी।"

राज " ओ तो वो आपकी कार थी सौरी माफ करना "
माँ " सौरी के बच्चे ऐसे बात करते हैं लड़की से "

माँ उस लड़की के सर पर हाथ फेरती है और कहती हैं " बेटा तेरा सुक्रिया मै नहीं कर सकती क्योंकि इतना महान काम किया है कि आज के समय में कोई सड़क पर मर भी रहा हो तो उसे लोग तड़पता हुआ छोड़ देते हैं लेकिन

तूने मुझे जिंदगी दी और अब मै कुछ साल और जीकर अपने इस बेटे का खयाल रख सकती हूँ , कहता है मेरा खयाल रखेगा खुद से खुदका खयाल रखा नहीं जाता और मेरा खयाल रखेगा।"

माँ कि बात सुनकर तीनों मुस्कराने लगे और तभी उस लड़की से राज कहता है " थेंक्स"
लड़की " थेंक्स से काम नहीं चलेगा कभी आपके घर आकर माँ के हाथ की चाय पीनी है तब थेंक्स पूरा होगा "

माँ " हा बेटा क्यों नहीं अभी चलो "
लड़की " नहीं माँ में कल आती हूँ अभी मुझे घर जाना हैं।"

वो लड़की जा ही रही थी तभी राज ने उस्से कहा " आपका नाम क्या है आपने ये तो बताया नहीं "

लड़की " आपने पूछा ही नहीं"
और इतना कहकर वो लड़की राज की तरफ मुस्कराकर कहने लगी " मेरा नाम सपना है, अभी मै चलती हूँ कल फिर मिलेंगे "

राज उस लड़की को जाते हुऐ देखता रहा तभी उसकी माँ उसका जोर से कान खीचती हैं।
राज " आ आ आ माँ लग रही है"
माँ " लग रही है के बच्चे अब क्या उसे आँखों से घर छोड़कर आयेगा बोल दिया न वो कल आ रही है तुम सब लड़के एक जैसे हो जहां लड़की दिखी नहीं के दिल फिसल गया "

राज " माँ बस अब घर चलो "

राज और माँ घर आ जाते हैं और अगली सुबह राज से जादा माँ को सपना के आने का इंतजार था और राज से कहती है " " कैसा लड़का है तू तेरे से वो मिलने आ रही है और तू है की शनीचर की तरह यहां पड़ा हुआ है चल जल्दी रेडी हो।"

राज " हा ठीक है पर वो मेरे से नहीं आपसे मिलने आ रही है आपका हालचाल जानने के लिऐ "

माँ " मै बूढी जरूर हूँ लेकिन पागल नहीं लड़की का चेहरा देखकर पता चल गया था वो तुझे पंसद करने लगी है।"

राज " आप भी न माँ ऐसे कैसे हो सकता लड़के किसी लड़की को पटाने में सालों लगा देते हैं और कोई लड़की एक मुलाकात में कैसे कीसी को पंसद कर सकती है"

माँ " तुझे मेरी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा तो देख अगर वो मुझे देखने आ रही है तो सूट पहन कर आऐगी और वो मेरे साथ साथ तुझसे मिलने आ रही है तो देखना वो साड़ी पहनकर आऐगी"

राज और माँ दोनो तैयार हु चुके थे अब वो सपना का इंतजार कर रहे थे और राज की निगहा माँ की तरफ थी कि वो ये देख रहा था कि माँ सपना से कितना खुश हैं।

"कहानी के अगले भाग का इंतजार कीजिए कि सपना के आने से राज की जिंदगी मै आये बदलाव और काजल से राज की फिर मुलाकात होगी का आगे का सफर "